सोमवार, 4 जनवरी 2010

कविता की छोरी

तेरे जैसी सुन्दर प्यारी
मुझको लगती तेरी छोरी.
तुम हो कविता उल्लासमयी
वो है ममता-मूरत लोरी.

सोने को बार-बार आँखें
पलकों को ओड़ रहीं मोरी.
पर नींद नहीं आती मुझको
बिन देखे कविता की छोरी.

थक जातीं कर-कर इंतज़ार
रोने लगतीं आँखें मोरी.
माँ हाथ फेर करती दुलार
कहती कविता से 'भेजो री'.

तब निकल चली माँ मुख से ही
आई सम्मुख चोरी-चोरी.
उसके जाते ही नयन मुंदे
जादूगरनी कविता-छोरी.


कविता की छोरी - लोरी
(अर्पिता जी को समर्पित)

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