मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

धुंध गान

धुंध धुंध धुंध, कोहरा कोहरा कोहरा॥
किसने बिखेरा इसे किसने है छोड़ा।
धुंध इकट्ठी करो, लेकर आओ बोरा।
ठंड के कंडों का बना लो बिटोरा।
धुंध धुंध धुंध, कोहरा कोहरा कोहरा॥
चाय के संग आया दूध का कटोरा।
बेटी ने रस लिया पापा ने पकोड़ा।
मम्मी ने ब्लैक टी में नींबू निचोड़ा।
धुंध धुंध धुंध, कोहरा कोहरा कोहरा॥
आग का धुँआ है या बादल-भगोड़ा।
सामने आ जाए तो दिखता है थोड़ा।
सूरज जी आकर इसे मारो धूप-कोड़ा।
 धुंध धुंध धुंध, कोहरा कोहरा कोहरा।।


(ये बालगीत बेटी भव्या के साथ मिलकर पूरा हुआ। कुछ दिन पहले जो धुंध छायी थी, उसे देखकर ही इस गीत की धुन पैदा हुई।)